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'गुमनाम' कलम से ... (2).png

"शिक्षक" 

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विद्यालय के पठनांगन में, बन कर शिक्षक उच्च महान।

कर्म-निष्ठ सेवारत रहना, बच्चों के सच्चे भगवान।

 

तन मन की संचित शक्ति से, अध्यापक देश का प्राण रहे।

करता प्रति क्षण श्रेष्ठ भाव से जन जन का कल्याण रहे।

 

भारत को है बड़ी ज़रूरत अच्छे अध्यापक की आज।

तन्द्रा तन्द्रा उलझ चुकी है, दूषित है सर्वत्र समाज ।

 

शिक्षा का भंडार जो तुम में, वही सिखना औरों को।

सत्य-संग, सन्मार्ग दिखाना भटके युवा किशोरों को।

 

योगी राज सी मोहक छबि से, एक एक के दिल पर तुम ने,

गहरी छाप लगाई है।

सर्वस्व न्योछावर कर जाने की, तुम ने सौगन्ध उठाई है।

नवयुग के निर्माता, साधक! तेरे भीतर धधकी,,.जागी रग रग में अरूणाई है।

राष्ट्र प्रेम की जगी भावना, देश के हित में जी जाने की, तुम ने राह दिखाई है।

अरूणांचल के दूर क्षितिज से तुम्हें निखारित, सुसंस्कृत करने, रोम रोम को अर्जित करने, लाल लालिमा छाई है।

ऊंचा मस्तिक्ष उठे देश का युग ने ली अंगड़ाई है।

साक्षात आदर्श रूप धर, अध्यापक ने इतिहास रचा है। इस की मेहनत के बल बूते, अब तक भारत देश बचा है।

हिन्दी राष्ट्र भाषा है अपनी हर पल मन में ध्यान रहे। इसे सिखाने अपनाने का दिल अन्दर अरमान रहे।

जीवन भर कुछ करना है तो दीन दुखी का काम रहे। जो भी सोचें, जो कर पावें, लब पर भारत नाम रहे।

मन की हसरत, दिल की चाहत जब भी उठ जग पावेगी, तेरी हर नस नस में साधक। भारत का कल्याण रहे ।

गुमनाम को बेशक भूल-बिसरना उस की बात रहे मन में। फूलों फलो खुश रहो सर्वदा इस दुनिया की महफिल में।

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